5 Easy Facts About Shodashi Described

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The mantra seeks the blessings of Tripura Sundari to manifest and fulfill all ideal outcomes and aspirations. It's considered to invoke the put together energies of Mahalakshmi, Lakshmi, and Kali, with the last word purpose of attaining abundance, prosperity, and fulfillment in all areas of daily life.

ऐं क्लीं सौः श्री बाला त्रिपुर सुंदरी महादेव्यै सौः क्लीं ऐं स्वाहा ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं ॐ ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं

Her 3rd eye represents bigger notion, serving to devotees see over and above physical appearances into the essence of fact. As Tripura Sundari, she embodies love, compassion, plus the joy of existence, encouraging devotees to embrace existence with open up hearts and minds.

Shodashi is deeply connected to the path of Tantra, where she guides practitioners toward self-realization and spiritual liberation. In Tantra, she is celebrated given that the embodiment of Sri Vidya, the sacred information that brings about enlightenment.

Her type is alleged for being by far the most gorgeous in each of the three worlds, a elegance that is not merely Actual physical and also embodies the spiritual radiance of supreme consciousness. She is commonly depicted for a resplendent sixteen-yr-outdated Woman, symbolizing Everlasting youth and vigor.

ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं  सौः

षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी का जो स्वरूप है, वह अत्यन्त ही गूढ़मय है। जिस महामुद्रा में भगवान शिव की नाभि से निकले कमल दल पर विराजमान हैं, वे मुद्राएं उनकी कलाओं को प्रदर्शित करती हैं और जिससे उनके कार्यों की और उनकी अपने भक्तों के प्रति जो भावना है, उसका सूक्ष्म विवेचन स्पष्ट होता है।

ఓం శ్రీం హ్రీం క్లీం ఐం సౌ: ఓం హ్రీం శ్రీం క ఎ ఐ ల హ్రీం హ స క హ ల హ్రీం స క ల హ్రీం సౌ: more info ఐం క్లీం హ్రీం శ్రీం 

भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।

मुख्याभिश्चल-कुन्तलाभिरुषितं मन्वस्र-चक्रे शुभे ।

चक्रे बाह्य-दशारके विलसितं देव्या पूर-श्र्याख्यया

Cultural functions like folks dances, audio performances, and plays are integral, serving for a medium to impart standard tales and values, Specially to the younger generations.

सा देवी कर्मबन्धं मम भवकरणं नाश्यत्वादिशक्तिः ॥३॥

सर्वभूतमनोरम्यां सर्वभूतेषु संस्थिताम् ।

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